दोस्तों, इन गर्मियों की छुट्टियों में हम सब बच्चों की ननिहाल यानि हमारी ससुराल 'अजमेर' गए थे। वापस  आये तो हमारी बहन बच्चों के साथ छुट्टियाँ मनाने हमारे घर आई। एक दिन शाम को सभी बच्चे छत पर खेल रहे थे। पत्नी ने खाना बनाया और बोली बच्चों को बुला लो खाना खा लेंगे। मैंने आवाज़ लगाई तो बच्चों ने नहीं सुनी, हारकर मैं उनको बुलाने गया और सीड़ियों को चढते हुए मैं ये पंक्तियाँ गुनगुनाने लगा और गाना (पैरोडी) बन गई। ये देशभक्ति गाने पर आधारित है, अभी इसका म्यूजिक नहीं मिला है.........

ग्रीष्मावकाश:

आओ बच्चो  तुम्हें खिलाएं रोटी हम ननिहाल की
पिछले हफ्ते खाकर आये हैं हम भी ससुराल की 
छुट्टी चल रही, हैं स्कूल की....छुट्टी चल रही, हैं स्कूल की
आज करो तुम नाना-नानी के घर में अठखेलियाँ
कल बुझाना छोटे मामा के घर में पहेलियाँ
छोटी मौसी सोरा-कोठी में सबको बुलाएगी
फिर सबसे बतियाने को वो मामा के घर आएगी

मामा के घर आके सबको ख़ुशी बहुत मिल जाएगी
मामा करते बाते अपनी ग़ुरबत और खुशहाल की
पिछले हफ्ते खाकर आये हैं हम भी ससुराल की 
छुट्टी चल रही हैं स्कूल की....छुट्टी चल रही हैं स्कूल की

मामाजी दिखलायेंगे 'नई दिल्ली' तुमको कार में
खुश रहना रस्ते में तुम-सब मत रोना बेकार में
इण्डिया गेट, लोटस टेम्पल वो सब तुमको दिखलायेंगे
वहां बैठकर पिकनिक हम-सब मिल् करके मनाएंगे

मस्ती में सब खेलेंगे और सपने सच हो जायेंगे
फिर किसको परवाह है इस गर्मी में अपने हाल की
पिछले हफ्ते खाकर आये हैं हम भी ससुराल की 
छुट्टी चल रही हैं स्कूल की....छुट्टी चल रही हैं स्कूल की

पिछले हफ्ते 'दीपू', 'केशू'  भी गए थे 'अजमेर' में 
वहां पहुंचकर पड़ गए अपनी मौसियों के फेर में
दिन भर धमा-चौकड़ी मिलकर के सभी मचाते थे
कभी-कभी खाने पर हमको और भी बुलाते थे

खाना खाते, घूमते और फिल्म देखने जाते थे
कुछ मत पूंछो वहां के 'माया मंदिर' सिनेमा हाल की
पिछले हफ्ते खाकर आये हैं हम भी ससुराल की 
छुट्टी चल रही हैं स्कूल की....छुट्टी चल रही हैं स्कूल की
आओ बच्चो  तुम्हें खिलाएं रोटी हम ननिहाल की
पिछले हफ्ते खाकर आये हैं हम भी ससुराल की 
छुट्टी चल रही हैं स्कूल की....छुट्टी चल रही हैं स्कूल की
(कवि अशोक कश्यप)
 

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