हम जिनके लिए मंदिर जाते
भगवान् से घंटों बतलाते
झूँठी-सच्ची कसमें खाते  
सौ-सौ के नोट चढ़ा आते
वो कहते हैं आप नहीं नहाते
(कवि अशोक कश्यप)

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