दोस्तों, करीब 8 वर्ष पहले बच्चों के स्कूल के लिए ये 'बाल कविता' लिखी थी.........
मोबाईल फोन:
मैं हूँ एक मोबाईल फोन
देखा न जिसने ऐसा कौन
साथ हमेशा मैं रहता हूँ
सुख:दुःख संग-संग सहता हूँ
चिट्ठी देता, फोटो लेता
भूले हों तो याद कर देता
मैंने बिजनेस खूब बढाया
धन और समय सभी का बचाया
उलझ गए तो हिसाब लगाया
और फिर तुमने खूब कमाया
घर ऑफिस और ऑफिस घर अब
पल में सबकी मुट्ठी में सब
मेरे आने से सिकुड़ गई दुनिया
पास सभी के मुन्ना हो या मुनिया
(कवि अशोक कश्यप))
मोबाईल फोन:
मैं हूँ एक मोबाईल फोन
देखा न जिसने ऐसा कौन
साथ हमेशा मैं रहता हूँ
सुख:दुःख संग-संग सहता हूँ
चिट्ठी देता, फोटो लेता
भूले हों तो याद कर देता
मैंने बिजनेस खूब बढाया
धन और समय सभी का बचाया
उलझ गए तो हिसाब लगाया
और फिर तुमने खूब कमाया
घर ऑफिस और ऑफिस घर अब
पल में सबकी मुट्ठी में सब
मेरे आने से सिकुड़ गई दुनिया
पास सभी के मुन्ना हो या मुनिया
(कवि अशोक कश्यप))
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