आज दिनांक 17-06-1012 को फादर्स डे (पिता दिवस) पर विशेष .........
पचपन के बाद का बचपन:
पचपन के बाद का बचपन:
ऐ मेरी उम्र के लोगो, ये बात है सबको बतानी
जो जन्म दिए हैं तुमको, उनकी याद करो कुर्बानी
तुम भूल न जाना उनको, इसलिए कहूँ ये कहानी
जो जन्म दिए हैं तुमको, उनकी याद करो कुर्बानी
जिस दिन तेरा जन्म हुआ था, घर भर ने मनाई दीवाली
कहीं भजन-कीर्तन होते, कहीं गूंजे गीत-कव्वाली
हर शख्स दुआएं देता...और लेता सारी बालाएं
माँ मंद-मंद मुस्काती, ये घडी है बड़ी सुहानी
जो जन्म दिए हैं तुमको, उनकी याद करो कुर्बानी
तेरी सेहत ठीक रहेगी, माँ मंदिर-मस्जिद जाती
व्रत, पूजा, पाठ कराती, गंडे-तावीज़ बनाती
जब-जब तू उदास हुआ है....माता की है धड़की छाती
सब वैद्य डाक्टर खोजे, की दान-पुण्य की उठानी
जो जन्म दिए हैं तुमको, उनकी याद करो कुर्बानी
ऐ मेरी उम्र के लोगो, ये बात है सबको बतानी
जो जन्म दिए हैं तुमको, उनकी याद करो कुर्बानी
तुम भूल न जाना उनको, इसलिए कहूँ ये कहानी
जो जन्म दिए हैं तुमको, उनकी याद करो कुर्बानी
जब करी कोई फरमाइश तब पिता की हुई आजमाइश
अपनी इच्छा सब मारीं की पूरी तेरी हर ख्वाहिश
कर्जा भी लेना पड़ा था और बेचीं अपनी हर चोइश
तेरे ,मन को ठेस ना पहुंचे इसलिए न चाही बतानी
जो जन्म दिए हैं तुमको, उनकी याद करो कुर्बानी
जब करी कोई फरमाइश तब पिता की हुई आजमाइश
अपनी इच्छा सब मारीं की पूरी तेरी हर ख्वाहिश
कर्जा भी लेना पड़ा था और बेचीं अपनी हर चोइश
तेरे ,मन को ठेस ना पहुंचे इसलिए न चाही बतानी
जो जन्म दिए हैं तुमको, उनकी याद करो कुर्बानी
ऐ मेरी उम्र के लोगो, ये बात है सबको बतानी
जो जन्म दिए हैं तुमको, उनकी याद करो कुर्बानी
तुम भूल न जाना उनको, इसलिए कहूँ ये कहानी
जो जन्म दिए हैं तुमको, उनकी याद करो कुर्बानी
(कवि अशोक कश्यप)
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