दोस्तों, संघर्ष जीवन का अहम् अंग है। मुझे भी बहुत संघर्ष करना पड़ा था, उन्हीं दिनों सन 1990 में ये 'मुक्तक' मेरे दिल से निकला था........

प्यासा जीवन है और पानी नहीं दूर तलक 
खाली तरकश है मगर जंग जीतने की ललक 
बढ़ रहा हूँ मैं इक झीनी से रोशनी की तरफ 
अभी तो ज़मीं अँधेरी है अँधेरा है फलक 
(कवि अशोक कश्यप)

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