परिवर्तन:

बदल रहा है समाज देश भी बदल रहा
रहन-सहन नजरिया परिवेश भी बदल रहा

बटुकनाथ पटना में 'जूली' को पटा रहे
आई. जी. हैं राधा बने नाच और नचा रहे
पत्नी पीडिता हैं कहके पलायन परिवार से
समर्थन सभी से मिला शिष्य से सरदार से
प्यार उमड़-घुमड़ रहा देश भी उछल रहा
रहन-सहन नजरिया परिवेश भी बदल रहा

बटुकनाथ 'लालू जी' से लॉलीपाप माँगते
लालू जी हैं चालू बड़े हंसके बात टालते
किन्तु उनकी हंसी में है साफ़ यह झलकता
प्यार हरेक ज़हन में हर उम्र में है मचलता
मचलता नहीं जो दिल वो रेस में पिछड़ रहा
रहन-सहन नजरिया परिवेश भी बदल रहा

बदल रहा है समाज देश भी बदल रहा
रहन-सहन नजरिया परिवेश भी बदल रहा

(कवि अशोक कश्यप)

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