दोस्तों, सन 1990 में, पैत्रिक व्यवसाय में भारी नुकसान होने के बाद, कुछ ऐसे अनुभव हुए कि ये गीत ( पैसा) निकल पड़ा दिल से। आज दिनांक 28.04.2012 को ये गीत सभी हिंदी भाषी राज्यों से प्रकाशित होने वाले समाचार-पत्र, 'महामेधा' में प्रकाशित हुआ है। इसको उन्होंने शायद कुछ सम्पादित किया है।मूल गीत लिख रहा हूँ ........धन्यवाद। 

पैसा:
ऐ मेरे दिल तू ना घबराना
जीवन में होता ही है आना-जाना
सबको मिलता रहता है पानी-दाना
जीवन में होता ही है आना-जाना

सबकी यहाँ एक राह रही है 
पैसे की सबको चाह रही है 
पैसे वाला इंसान कहाए 
जिसपे नहीं वो हैवान कहाए, ये जिसपे नहीं वो हैवान है
जिस घर में पैसा वो अच्छा घराना
जीवन में होता ही है आना-जाना

पैसे से इंसान खरीदो
पैसे से भगवान् खरीदो
पैसे के हर चीज़ है वश में
पैसा बसा सबकी नस-नस में, यहाँ पैसा बसा है नस-नस में
पैसा हो जिसपे है उसका ज़माना
जीवन में होता ही है आना-जाना

पर ये बताओ सबका क्या करना है
सबको यहाँ एक दिन मरना है
कुछ भी वहां काम आता नहीं है
किसी का कोई वहां नाता नहीं है, वहां किसी का नाता नहीं है
गर कोई होवे तो मुझको बताना
जीवन में होता ही है आना-जाना

ऐ मेरे दिल तू ना घबराना
जीवन में होता ही है आना-जाना
(कवि अशोक कश्यप)
    

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