दोस्तों, अक्सर दो घनिष्ट मित्रों/संबंधों में ग़लत फहमी के कारण, या सच में ही मन-मुटाव हो जाता है तो भी बात-चीत का सिलसिला हमें नहीं छोड़ना चाहिए। बात-चीत बंद करने से सुलह के सारे रस्ते बंद हो जाते हैं.....

आओ कुछ बात करें:

आओ कुछ बात करें अपने मन साफ़ करें
गलत हो सकते हैं खुद को हम माफ़ करें

सबके रिश्ते अपने सबका ईमान अपना
समझें सबके मन को सबसे इन्साफ करें

खिजां गुल-गुलशन पर कोयल कुंके कैसे
बहारें आएँगी उनका आव्हान करें 

चार दिन बीत गए चांदनी आने के
रहे दुनियां रोशन कुछ करामात करें

जो ये कहते फिरते भलाई अब ना रही
गलत साबित हों वो हम शुरुवात करें

हम पर मालिक की मेहर हम हैं ओहदे वाले
उन पर मालिक का कहर अच्छे हालात करें

आओ कुछ बात करें अपने मन साफ करें
गलत हो सकते हैं खुद को हम माफ़ करें
(कवि अशोक कश्यप)

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