dohe
दोहे: जग
जग बोले मैं चतुर हूँ चल तू मेरे संग
मैं बोलूं इमान की पी राखी है भंग
जग के साथ जहाँ चला, जग ने छोड़ा साथ
जग बोले मैं चतुर हूँ चल तू मेरे संग
मैं बोलूं इमान की पी राखी है भंग
जग के साथ जहाँ चला, जग ने छोड़ा साथ
उसको मेरी सरलता, बेमतलब की बात
जग पहुँचा कुरुक्षेत्र में, खून का खून बहाय
मैं बोलूं कुरुवंश से, बाँट-बाँट कर खाय
(कवी अशोक कश्यप)
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