समय गुज़रा वो बेसमय का सा सैलाब गुज़रा
अब उसके माथे का सरताज सुर्ख बिंदा हूँ
 मैं किसी बात पर इतना अधिक शर्मिंदा हूँ
 बड़ी हैरत में हूँ कि अभी तलक जिंदा हूँ

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