समझने को मेरी वो हर समझ, बेताब रहता है,
मैं होठों से बयां करता, वो आँखों ही से कहता है,
अगर हम दूर रहते हैं, ज़मीं और असमानों से,
वो जो कहता मैं सुनता हूँ, मैं जो कहता वो करता है,

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