दोस्तों, कुछ लोग कहते है कि 'अशोक कश्यप जी' आप कवितायेँ लिखने में क्यों समय बर्बाद करते हो........इस समय को पैसे कमाने में लगाओ..........मेरा जवाब है.........

मुक्तक:
दशक बीते हैं ऐसे ही, दशक बीतेंगे ऐसे ही
रहे हैं हम सदा ऐसे, रहेंगे हम तो ऐसे ही
कोई बनता है बन जाये, सिकंदर इन ज़मीनों का
रहेंगे बादशाह हम तो, जिगर के दिल के ऐसे ही
(कवि अशोक कश्यप)

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