दोस्तों, मेरी तीन रचनाएँ राष्ट्रीय दैनिक समाचार-पत्र 'महामेधा' में प्रकाशित हुईं, पहली रचना 'रेलवे स्टेशन' दिनांक 07.11.2011 को प्रकाशित हुई..........
दोस्तों, हमारे बेटे का नाम 'अभिनव' है और बेटी को हम 'दीपू' कहते हैं और वो 'अभिनव' से दो वर्ष बड़ी है। 'अभिनव' जब चार वर्ष (सन 2000) का था तो घर के पास ही स्थित रेलवे स्टेशन पर जाने की और 'शताब्दी ट्रेन' देखने की जिद करता था, उस समय ये कविता लिखी थी ............

रेलवे स्टेशन:

स्टेशन पर खड़ी थी गाड़ी
खेल रहे थे बाड़ी-बाड़ी
सोनू बनेगा पकौड़े वाला
मोनू देगा चाय का प्याला

कल्लू, मल्लू, वीरू, जोगी
तुम सब बन जाओगे बोगी
और मैं 'इंजन' पहलवान हूँ
मैं 'अभिनव' हूँ मैं 'महान' हूँ

'दीपू' बोली तुम छोटे हो
बेशक थोड़े से मोटे हो
पहले खुद तो दौड़ना सीखो
फिर ये चार बोगियां खींचो

'अभिनव' अब गुस्से में आया
उसने सब बच्चों को भगाया
मेरी बहन और मुझे चिढ़ाती
गैरों से है लाड-लड़ाती

इतने में ही शताब्दी आई
'दीपू' रोई और चिल्लाई
अभिनव' भैया इधर को आओ
तेज़ ट्रेन है पास ना जाओ

दीपू, अभिनव साथ-साथ थे
दोनों के हाथों में हाथ थे
'अभिनव' बोला सॉरी दीदी
आँखें उसकी भीगी-भीगी

अब मैं तुमसे नहीं झग्दुंगा
तुमरी सभी बात मानूंगा
दीपू ने उसको पुचकारा
मेरा भैया प्यारा-प्यारा
मेरा भैया प्यारा-प्यारा .........
(कवि अशोक कश्यप)






 

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