Sharminda Hun

चाहे कुछ और आशय हो उसकी बातों का 
 मैं तो समझा कि बुराई का मैं पुलिंदा हूँ 
 मैं किसी बात पर इतना अधिक शर्मिंदा हूँ
 बड़ी हैरत में हूँ कि अभी तलक जिंदा हूँ
(कवि अशोक कश्यप)



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