रहीम जी के दोहे


1.  रहिमन  पानी राखिये, बिन पानी सब सून 
     पानी गए न उबरे, मोती, मानुष, चून

2.  बिगड़ी बात बने नहीं, लाख करो किन कोय
     रहिमन बिगड़े दूध को, मथे न माखन होय

3.  क्षमा बडन को चाहिए, छोटन को उत्पात
     कह रहीम हरि का घट्यो, जो भ्रगु मारी लात 

4.  रहिमन धागा प्रेम का, मत तोड़ो चटकाय 
     टूटे से फिर ना जुड़े, जुड़े गांठ परि जाय 

5.  एकै साधे सब सधै, सब साधे सब जाय 
     रहिमन मूलहिं सींचिबो, फूले-फलै अगाय  

6.  जो रहीम उत्तम प्रकृति, का करि सकत कुसंग 
     चन्दन विष व्यापत नहीं, लिपटे रहत भुजंग

7.  रहिमन वे जन मर गए, जे कछु मांगन जाहि 
     उनते पाहिले वे मुए, जिन मुख निकसत नाहि

8.  दुःख में सुमिरन सब करे सुख में करे ना कोय 
     जो सुख में सुमिरन करे तो दुःख काहे होय 

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