'अन्ना हजारे' गाना न.२ 

चल अकेला, चल अकेला, चल अकेला
तेरा 'अन्ना' भूंखा बैठा बन्दे चल अकेला 

पचासों साल से आज़ाद हैं, पर हैं कहाँ हम ?
पचासों साल से जिल्लत सही, सहते रहे हम
वो आज मसीहा आया जिसने राग नया है छेड़ा

चल अकेला, चल अकेला, चल अकेला
तेरा अन्ना भूंखा बैठा बन्दे चल अकेला 

नहीं कोई पार्टी इसकी नहीं कोई नेता गीरी
नहीं सरकार से अनबन चले वो तीन पीढ़ी 
अरे बस दे दो उसका  हक करे जो मेहनत शाम-सवेरा 

चल अकेला, चल अकेला, चल अकेला
तेरा अन्ना भूंखा बैठा बन्दे चल अकेला

बने फिर सोने की चिड़िया अरे भारत हमारा
उड़े घर-आँगन में अपने यही उद्देश्य हमारा
फिर नहीं कैद कर सके इसे कोई छलिया,बाघ-बहेला

चल अकेला, चल अकेला, चल अकेला
तेरा 'अन्ना' भूंखा बैठा बन्दे चल अकेला







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