दोस्तों, दिनांक 30-11-2012 को हमारे कार्यालय 'भारत मौसम विज्ञानं विभाग' नई दिल्ली से हमारे 8 सहकर्मी सेवानिवृत हुए। इस अवसर पर मैंने विदाई गीत और ये 4 दोहे सुनाये .........

दोहे:

जग बोले मैं चतुर हूँ, चल तू मेरे संग
मैं बोलूँ ईमान की, पी राखी है भंग 

जग पहुँचा कुरुक्षेत्र में, खून का खून बहाय
मैं बोलूँ कुरुवंश से, बाँट-बाँट कर खाय

लक्ष्य जहाँ धंधला लगे, वहाँ  न छोडो तीर
'कश्यप' न सह पाओगे, दशरथ जैसी पीर

जिन पंखों को मिल गई, अपनों की परवाज
वो ही जाकर दूर तक, गगन पे करते राज
(कवि अशोक कश्यप)

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