दोस्तों, आप सभी को आज 14 सितम्बर 2012 के 'हिंदी दिवस' की बहुत-बहुत शुभकामनाएं-----------

हिंद और हिंदी: 

हिंद है महान इसकी हिंदी पहचान है 
जैसे  कुलवधु की सुर्ख बिंदी पहचान है  

हिंदी की है जन्मदाता संस्कृत संस्कारिणी 
जो है वेद, पुराणों से आभूषण की  धारिणी 
इन्हीं महाग्रंथों में भारत का दर्शन छुपा 
विश्व  ने परखा न इसको तभी दिग्भ्रमित हुआ 
आज मानव सोच से मानवता लहू-लुहान है 

हिंद है महान इसकी हिंदी पहचान है 

हिंदी को संवारा सूर, तुलसी और कबीर ने 
सिर झुका के नमन किया इनको हर ज़मीर ने 
 हरिश्चंद्र, प्रेमचंद दो महास्थाम्भ हैं 
रविन्द्र, प्रसाद, पन्त इनका हमें दंभ है 
हिंद के दिग्दर्शक 'अटल' हिंदी की ही शान हैं 

हिंद है महान इसकी हिंदी पहचान है 

हिंदमहासागर सी धीर और गंभीर है 
हिमालय पर्वत के जैसी स्वाभिमानी वीर है 
गंगा, जमुना, सरस्वती जैसी यह सहचरी 
होली, दीवाली, दशहरा जैसी यह कहकही 
भारतीयों के ह्रदय में  इसका बड़ा मान है 

हिंद है महान इसकी हिंदी पहचान है

'हिंद' एक कुटुंब जैसा बहुत से रिश्ते यहाँ पर 
'हिंदी' एक सुशील बेटी जोड़ती सबको परस्पर 
इसको सभी रिश्तों से है मान मर्यादा की आशा 
प्यार और स्नेह दें सब बन जाएगी प्रिय भाषा 
इसकी भोली सरलता पर  तो अभिमान है 

हिंद है महान इसकी हिंदी पहचान है 
जैसे  कुलवधू की सुर्ख बिंदी पहचान है  

Comments

कल 14/09/2012 को आपकी यह बेहतरीन पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
धन्यवाद!

nayee dunia said…
बहुत बढ़िया
vandana gupta said…
बहुत सुन्दर उद्गार

हिन्दी ना बनी रहो बस बिन्दी
मातृभाषा का दर्ज़ा यूँ ही नही मिला तुमको
और जहाँ मातृ शब्द जुड जाता है
उससे विलग ना कुछ नज़र आता है
इस एक शब्द मे तो सारा संसार सिमट जाता है
तभी तो सृजनकार भी नतमस्तक हो जाता है
नही जरूरत तुम्हें किसी उपालम्भ की
नही जरूरत तुम्हें अपने उत्थान के लिये
कुछ भी संग्रहित करने की
क्योंकि
तुम केवल बिन्दी नहीं
भारत का गौरव हो
भारत की पहचान हो
हर भारतवासी की जान हो
इसलिये तुम अपनी पहचान खुद हो
अपना आत्मस्वाभिमान खुद हो …………