सुन्दर है ये जहां , देखो मेरी आँखों से
ख़ास है हर शय यहाँ, देखो मेरी आँखों से
दुल्हन सी मूक रही कोयल सी कूक रही
महका सा आँगन है चहका सा गुलशन है
सुहाना हर मौसम है देखो मेरी आँखों से
सुन्दर है ये जहां, देखो मेरी आँखों से
ख़ास है हर शय यहाँ, देखो मेरी आँखों से
(कवि अशोक कश्यप)
ख़ास है हर शय यहाँ, देखो मेरी आँखों से
दुल्हन सी मूक रही कोयल सी कूक रही
महका सा आँगन है चहका सा गुलशन है
सुहाना हर मौसम है देखो मेरी आँखों से
सुन्दर है ये जहां, देखो मेरी आँखों से
ख़ास है हर शय यहाँ, देखो मेरी आँखों से
(कवि अशोक कश्यप)
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