स्वतंत्रता के इतने वर्ष बाद:

बहुत खोया है, बहुत पाया है, देश ने इतने वर्षों में
भ्रष्टाचार फला-फूला है, शिष्टाचार है अर्सों  में

कहते हैं गाँधी, सुभाष ने देश के हित में त्याग किये
पर देखो तो आज के नेता, देश को नित-नित लूट रहे

हर विभाग में घोटाला और घोटाला काले धन का
देश-भक्ति तो गई भाड़ में सुख तलाशते हैं मन का

पर मैं आज बता दूँ इनको, मन का सुख आसान नहीं
देश के हित में काम करें तो, इन सा कोई महान नहीं

देश का वासी सुखी रहे तो, दुआ निकलती अन्दर से
सच्चा सुख तो तभी मिलेगा ख़ुशी मिले जब घर-घर से
(कवि अशोक कश्यप)

Comments

yashoda Agrawal said…
आपकी यह बेहतरीन रचना शनिवार 15/09/2012 को http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जाएगी. कृपया अवलोकन करे एवं आपके सुझावों को अंकित करें, लिंक में आपका स्वागत है . धन्यवाद!
बहुत बढ़िया सर!


सादर
Asha Joglekar said…
अच्छी रचना सच्ची रचना ।