गीत: सूरज सुनामी



सामने सूरज सुनामी, जिन्दगानी है बचानी

है समंदर दूर मीलों, आग फिर भी है बुझानी



एक अर्से से ना बरसा, मुद्दतों से मन है तरसा

सारी सारी रात जागा एक दीया सूने घर सा

सूखे बादल सी रवानी, सूने दीपक सी जवानी

है समंदर दूर मीलों, आग फिर भी है बुझानी



फूल ने हर पंखुड़ी में, अक्स ऐसे भर लिया है

शबनमी कंचन किरन ने जैसे आलिगन किया है

महकती सी ये कहानी, सारे गुलशन से छुपानी

है समंदर दूर मीलों, आग फिर भी है बुझानी



हाँ ये हौवा डराता है, काम क्या क्या कराता है

बचता फिरता बचपने से, नहीं कोई बचाता है

तीर तलवारें बना लीं अब ये इस पर है चलानी

है समंदर दूर मीलों, आग फिर भी है बुझानी



चाँद नहाया अंधेरों में, सितारों से घर सजाया

रात की डोली उठाकर हसरतों के नगर लाया

सेज पर अरमान बिखरे, सिसकियां देतीं गवाही

है समंदर दूर मीलों, आग फिर भी है बुझानी



सामने सूरज सुनामी, जिन्दगानी है बचानी

है समंदर दूर मीलों, आग फिर भी है बुझानी

(ज़िंदगी मुस्कुरायेगी पुस्तक 2021 से)

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