देखके अपना, तिरंगा प्यारा
दिल में बहती, है प्रेम की धारा 
हैं इस पर हम कुर्बान-बान
इस पर दे देंगे जान-जान
है  अपनी शान-शान,
मदहोश हैं हम, मदमस्त-मस्त
ये दिन है पन्द्रह अगस्त-गस्त, ये दिन है पन्द्रह अगस्त
(कवि अशोक कश्यप)

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