दोस्तों,
आज हम सभी में भौतिक साधनों को ज्यादा से ज्यादा पाने की होड़ सी लगी हुई
है, और इन साधनों को पाने के लिए हम किसी भी हद तक गिरने को तैयार रहते है |
इसी हारी हुई जीत को दर्शाता है मेरा यह नया गीत..........
गीत: ज़िन्दगी की जीत:
सूरज की छाँव में, तारों की धूप में
जीत ली है हमने ज़िन्दगी, अंधियारे रूप में
समंदर को नदी में आना पड़ा
दुखड़ा सुनाना पड़ा, हाय शर्माना पड़ा
हकीकत को मिथ्या बताना पड़ा
सच को छुपाना पड़ा, हाय पछताना पड़ा
शहरों के गाँव में, गाँव के सूप में
जीत ली है हमने ज़िन्दगी, अंधियारे रूप में
नींद हमें थककर आ ही गई
परलय भा ही गई, रूह पथरा ही गई
आग कोई धीमीं हो ही गई
आशा सो ही गई, खुशबु रो ही गई
दुर्गम स्वरूप में, निर्मम से कूप में
जीत ली है हमने ज़िन्दगी, अंधियारे रूप में
गिरगिटों की ताजपोशी हुई
ओ गर्मजोशी हुई, लज्जा दोषी हुई
फूलों की खुशबु खाक हुई
चन्दन राख हुई, कौड़ी लाख हुई
सावन की सूख में, बैसाखी भूँख में
जीत ली है हमने ज़िन्दगी, अंधियारे रूप में
सूरज की छाँव में, तारों की धूप में
जीत ली है हमने ज़िन्दगी अंधियारे रूप में
(कवि अशोक कश्यप)
गीत: ज़िन्दगी की जीत:
सूरज की छाँव में, तारों की धूप में
जीत ली है हमने ज़िन्दगी, अंधियारे रूप में
समंदर को नदी में आना पड़ा
दुखड़ा सुनाना पड़ा, हाय शर्माना पड़ा
हकीकत को मिथ्या बताना पड़ा
सच को छुपाना पड़ा, हाय पछताना पड़ा
शहरों के गाँव में, गाँव के सूप में
जीत ली है हमने ज़िन्दगी, अंधियारे रूप में
नींद हमें थककर आ ही गई
परलय भा ही गई, रूह पथरा ही गई
आग कोई धीमीं हो ही गई
आशा सो ही गई, खुशबु रो ही गई
दुर्गम स्वरूप में, निर्मम से कूप में
जीत ली है हमने ज़िन्दगी, अंधियारे रूप में
गिरगिटों की ताजपोशी हुई
ओ गर्मजोशी हुई, लज्जा दोषी हुई
फूलों की खुशबु खाक हुई
चन्दन राख हुई, कौड़ी लाख हुई
सावन की सूख में, बैसाखी भूँख में
जीत ली है हमने ज़िन्दगी, अंधियारे रूप में
सूरज की छाँव में, तारों की धूप में
जीत ली है हमने ज़िन्दगी अंधियारे रूप में
(कवि अशोक कश्यप)
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