दोस्तों, मार्च २०१० में 'पालिका समाचार' में प्रकाशित मेरी एक बहुत मशहूर कविता है 'मुकाम'......
मुकाम:
ज़िन्दगी जीने के लिए
इसका रस पीने के लिए
ज़ख़्म सब सीने के लिए
हाँ ज़रूरी है, मेरी जां ज़रूरी है
थोड़ा प्यार, थोड़ी मनुहार

मंजिलें पाने के लिए
सितारे लाने के लिए
दिलों पर छाने के लिए
हाँ ज़रूरी है, मेरी जां ज़रूरी है
थोड़ी मेहनत, थोड़ी किस्मत

अपना बनाने के लिए
दिलों पर छाने के लिए
मीठा कहलाने के लिए
हाँ ज़रूरी है, मेरी जां ज़रूरी है
थोड़ी अच्छाई, थोड़ी सच्चाई

दिल को बहलाने के लिए
ज़ख़्म सहलाने के लिए
प्यार यूँ पाने के लिए
हाँ ज़रूरी हैं, मेरी जां ज़रूरी हैं
थोड़े अपने, थोड़े सपने
थोड़े अपने, थोड़े सपने........
(कवि  अशोक कश्यप)
  
 
  
 

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