पत्नी ये सती सावित्री-सी, यम से भी पति को मांग लिया
संस्कारी त्यागी सीता-सी, पति के संग वन-वन गमन किया
तुलसी, अनुसुइया, अहिल्या ये, देवों के भी सिर झुका दिए
संहारिनी, दुर्गा, महाकाली शिव-शंकर जिनको नमन किये
नर को ये बना दे नारायण, 'करबा' के दिन है छवि न्यारी

दोस्तों, नारी का एक रूप 'माँ' का भी है, कल 'अहोई' है उत्तर भारत में सभी मांए, ये व्रत अपनी संतान की लम्बी आयु और उसके सुखी जीवन के लिए रखती है...........

माँ के रूप की बात ही क्या है, धरती पर भगवान् है वो
जिसकी कोख से जन्म लिए हैं, अब तक के अवतार हैं जो
कौशल्या, देवकी, यशोदा, जीजाबाई-सी माता हैं
इन्हीं से शिक्षा पाकर बच्चा, शूरवीर कहलाता है
लालन-पालन ही से करती, जीवन यात्रा की तैयारी
नारी से दुनिया सारी, फिर भी नारी बेचारी

रिश्ते-नांतों को निभाने में, नारी नर पे है सदां भारी 
नारी से दुनिया सारी, फिर भी नारी बेचारी
(कवि अशोक कश्यप)

Comments