क्षेत्रीयता को छोडो, जाति-मजहब को छोडो 
हम सब हैं हिंद वासी, हिन्दोस्तां को जोड़ो 

कोई धर्म हो दुनियां का, है मर्म सभी का ये
दुःख-दर्द बाँटो सबके, है कर्म सभी का ये
कुछ अच्छे काम करके, फिर धर्म की सोचो तुम
नहीं तो इस जहाँ में, होके रहोगे गुम तुम
आडम्बरों की बेडी, को अब तो यारो तोड़ो 

क्षेत्रीयता को छोडो, जाति-मजहब को छोडो 
हम सब हैं हिंद वासी, हिन्दोस्तां को जोड़ो 
(कवि अशोक कश्यप)

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