हर पल जीवन का जीना है
ज़हर बना, अमृत पीना है 
फूल-शूल की फ़िक्र भूलकर 
हरेक जख्म दिल का सीना है
ज़ख़्म मिले जहाँ सिले भी हैं वहाँ
आज नहीं तो आयेगा वो कल 

हर पल हलचल पल-पल हलचल 
कहे ज़िन्दगी चल आगे चल
चल आगे चल, चल आगे चल 
(कवि अशोक कश्यप)

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