गीत: 'अधूरा'

भक्त नहीं आयें अगर मंदिर में 
भगवान् अधूरा रहता है 
जब तक ना कोई उसे अच्छा कहे
इंसान अधूरा रहता है 

आदमी में ही भगवान् रहते हैं 
आदमी में ही शैतान रहते हैं
पाप-पुण्यों से इन्सां की पहचान है 
पुन्यकर्मी को इंसान कहते हैं 
''आत्मा की शुद्धि ही सबसे बड़ी सिद्धि यहाँ''
आत्मा में दोष है तो इंसा का.....
ईमान अधूरा रहता है 
जब तक ना कोई उसे अच्छा कहे
इंसान अधूरा रहता है 

आज झुन्ठों का तो बोलबाला है 
सत्यवादी जुबां पर तो ताला है 
झूंठ टिकता नहीं है मगर देर तक 
सत्यभाषी ही विश्वास  वाला है 
सत्यवादियों को सभी खोजते फिरते हैं यहाँ 
सत्यवादियों के बिन झून्ठों का 
झुन्ठिस्तान अधूरा रहता है 
जब तक ना कोई उसे अच्छा कहे
इंसान अधूरा रहता है


भक्त नहीं आयें अगर मंदिर में 
भगवान् अधूरा रहता है 
जब तक ना कोई उसे अच्छा कहे
इंसान अधूरा रहता है
( कवि अशोक कश्यप )

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