कबीर जी के दोहे
१. ऐसी वाणी बोलिए, मन का आपा खोय
औरन को शीतल करे, आपहु शीतल होय
2. काल करे सो आज कर, आज करे सो अब
पल मै परलय होयगी, बहुरि करेगा कब
३. बड़ा भया तो क्या भया, जैसे पेड़ खजूर
पंथी को छाया नहीं, फल लागे अति दूर
४. बुरा जो देखन मैं चला, बुरा न मिलिया कोय
जो मन देखा आपना, मुझसे बुरा न कोय
५. चलती चक्की देख के, दिया कबीरा रॉय
दो पाटन के बीच में, साबुत बचा न कोय
६. जाती न पूंछो साधू की, पूंछ लीजिये ज्ञान
मोल करो तलवार का, पडा रहन दो म्यान
७. माटी कहे कुम्हार से, तू क्या रोंदे मोहे
एक दिन ऐसा आयगा, मैं रोंदुंगी तोहे
८. दुःख में सुमिरन सब करे, सुख में करे न कोय
जो सुख में सुमिरन करे, तो दुःख काहे को होय
Comments