हिंद और हिंदी 


हिन्द है महान इसकी हिन्दी पहचान है
जैसे कुलवधु की सुर्ख बिंदी पहचान है

हिन्द है महान इसकी हिन्दी पहचान है.......

हिंदी की है जन्मदाता संस्कृत संस्कारिणी 
जो है वेद पुराणों से आभूषण की धारिणी 
इन्हीं महाग्रंथों में भारत का दर्शन छुपा 
विश्व ने परखा न इसको तभी दिग्भ्रमित हुआ 
आज मानव सोच से, मानवता लहू-लुहान है

हिन्द है महान इसकी हिन्दी पहचान है

हिंदी को संवारा सूर, तुलसी और कबीर ने
सिर झुका के नमन किया इनको हर ज़मीर ने
हरिश्चंद्र, प्रेमचंद दो महास्थंभ हैं 
रविन्द्र, प्रसाद, पन्त इनका हमें दंभ है 
हिंद के दिग्दर्शक 'अटल' हिंदी की ही शान हैं

हिन्द है महान इसकी हिन्दी पहचान है


हिंदमहासागर सी धीर और गंभीर है 
हिमालय पर्वत के जैसी स्वाभिमानी वीर है
गंगा, जामुन, सरस्वती जैसी यह सहचरी
होली, दीवाली, दशहरा जैसी यह कह्कही
भारतीयों के ह्रदय में इसका बड़ा मान है

हिन्द है महान इसकी हिन्दी पहचान है

'हिन्द' एक कुटुंब जैसा बहुत से रिश्ते यहाँ पर
'हिन्दी' एक सुशील बेटी, जोड़ती सबको परस्पर 
इसको सभी रिश्तों से है मान मर्यादा की आशा 
प्यार और स्नेह दें सब, बन जायेगी प्रिय भाषा
इसकी भोली सरलता पर हमें तो अभिमान है

हिन्द है महान इसकी हिन्दी पहचान है

जैसे कुलवधु की सुर्ख बिंदी पहचान है
हिन्द है महान इसकी हिन्दी पहचान है.......
(कवि अशोक कश्यप)

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