दिलकश शेर

फूलों में है खुशबु तो हो भई मेरी बला से
मुझको तेरी सांसों की महक इत्र सी लगे

चिड़ियों की है चहक तो इसमें खास कुछ नहीं
चूड़ी की खनक में तेरी संगीत मधुर है

कई बार घूम आया हूँ परियों के देश मै
कोई हूर कभी तेरी जगह ले ही न सकी

तुझसे अलग सोया जो मै फूलों की सेज पर
करवट बदल - बदल मेरी रातें कई कटीं

यूँ ले चुका हूँ स्वाद मधुर व्यंजनों का मै
पर तेरे दाल फुल्कों का मज़ा ही अलग है

होली गई दीवाली गई दशहरा गया
तेरे बिना उत्सव सभी बेमानी से लगे

मुजरा सुना मयखाना गया खुश न मै हुआ
मासूम सी बातों का तेरी अलग नशा है

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