मुक्तक:
घनेरे मेघ हों खुशियों के सावन सुख का बरसायें
अँधेरे ग़म के जीवन में ना थे, आगे भी ना आयें
दुआएं दिल से हम सब दे रहे महके सदां जीवन
बहारें यूँ आपकी ज़िन्दगी को खुलके महकाएं
(कवि अशोक कश्यप)

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