दोस्तों, मैं भारत सरकार के मौसम विज्ञानं विभाग में कार्यरत हूँ। लिखने के मेरे अपने कुछ सिद्धांत हैं ......
1. मेरी दाल-रोटी ठीक चल रही है। मैं पैसे के लिए नहीं लिखता।
2. मैं किसी की कविता तो क्या, विचार भी चुराना पाप समझता हूँ। मुझे अपनी रचना ही संतुष्टि देती है।
3. मैं कविता, दोहा, मुक्तक, कुंडली,गीत, ग़ज़ल, छंदमुक्त कविता, पैरोडी सारी विधाओं में लिखता हूँ।
4. मेरा उद्देश्य सिर्फ अपने विचार लोगों तक पहुँचाने का और हिंदी भाषा को बढ़ावा देने का रहता है।
5. मैं किसी भी तरह के कार्यक्रम में हर मौके की रचना लिख लेता हूँ। अपने विभागीय सेवानिवृति के लिए मैंने बहुत सी कविता, गीत, पैरोडी आदि लिखे हैं। और गाता रहता हूँ।
6. भजन, भेंट, भी कई लिखकर स्तरीय जागरण, सत्संग आदि में गाता रहा हूँ।
(कवि अशोक कश्यप)
1. मेरी दाल-रोटी ठीक चल रही है। मैं पैसे के लिए नहीं लिखता।
2. मैं किसी की कविता तो क्या, विचार भी चुराना पाप समझता हूँ। मुझे अपनी रचना ही संतुष्टि देती है।
3. मैं कविता, दोहा, मुक्तक, कुंडली,गीत, ग़ज़ल, छंदमुक्त कविता, पैरोडी सारी विधाओं में लिखता हूँ।
4. मेरा उद्देश्य सिर्फ अपने विचार लोगों तक पहुँचाने का और हिंदी भाषा को बढ़ावा देने का रहता है।
5. मैं किसी भी तरह के कार्यक्रम में हर मौके की रचना लिख लेता हूँ। अपने विभागीय सेवानिवृति के लिए मैंने बहुत सी कविता, गीत, पैरोडी आदि लिखे हैं। और गाता रहता हूँ।
6. भजन, भेंट, भी कई लिखकर स्तरीय जागरण, सत्संग आदि में गाता रहा हूँ।
(कवि अशोक कश्यप)
Comments
क्या बात है अशोक भाई
मैं तो नई रचना की उम्मीद कर रही थी
सादर