मुक्तक 
हर वक्त एक खुमार सा ज़हन में रहता है 
उत्साह बेशुमार सा ज़हन में रहता है
जब से बसी इन आँखों में तस्वीर भली सी 
हर समय ही त्यौहार सा ज़हन में रहता है
(कवि अशोक कश्यप)

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