बाल कहानी

एकता में बड़ी शक्ति है:

एक गाँव में एक किसान रहता था। उसके चार लडके थे। किसान ने खूब अच्छी तरह से अपने चारो बेटों को पाला पोसा और हरेक बेटे का बहुत सुन्दर लड़की से विवाह किया। जब तक किसान जवान था उसने सभी को एक जुट रखा और किसी भी चीज़ की कमी नहीं आने दी घर में। सारे गांव में उसके परिवार की एकता की मिसाल दी जाती थी। जब किसान बूढ़ा होने लगा तो उसकी पकड़ परिवार पर कम होने लगी। अब चारों बेटों ने ज़मीन को बराबर बाँट लिया और खेती करने लगे। उन्होंने घर के भी चार हिस्से कर लिए और एक छोटी सी कोठरी बूढ़े किसान को दे दी। जिसमें बारी बारी से सभी उसको रोटी पानी दे देते थे। अब चारों परिवारों में छोटी छोटी बातों पर लड़ाई झगड़े होने लगे। बात इतनी बढ़ गई की कोई किसी से बोलता भी नहीं था। गांव के दबंग परिवार अगर किसी एक भाई पर हावी होकर उसे दबाते झगड़ा करते तो दूसरा कोई भाई उसका साथ नहीं देता। अब तो चारो भाइयों की फसल को भी नुकसान पहुचाने लगे गांव के दबंग लोग। चारों अपने अपने खेतों में खूब मेह्नत से काम करते मगर घर तक आते आते फसल आधी ही रह जाती। इससे बूढ़े किसान को भी रोटी देने में चारों आनाकानी करने लगे।
बूढ़े किसान ने एक दिन चारों को एक साथ अपने पास बुलाया और चारों को एक एक लकड़ी दी और कहा तोड़ो। चारों ने झट से अपनी अपनी लकडी तोड़ दीं। अब किसान ने चार लकड़ियों को एक साथ बाँधकर हरेक बेटे को बारी बारी से तोड़ने को कहा। चारों ने अलग अलग खूब ज़ोर लगाया मगर कोई भी चारों लकड़ियों को एक साथ तोड़ नहीं पाया। अब किसान ने कहा की बच्चों एकता में बहुत शक्ति होती है। जैसे तुम एक साथ बंधी इन चारों लकड़ियों को नहीं तोड़ पाये वैसे ही तुम चारों एक जुट रहो और सुख-दुःख में एक दूसरे का सहारा बनो, तो गांव में कोई भी तुम्हारी फसल को पशुओं और बाल बच्चों को नुकसान पहुँचाने की हिम्मत नहीं कर पायेगा। तभी से चारों भाईयों ने एक साथ रहने का प्रण किया। अगर कोई भाई किसी परेशानी में पड़ता तो बाकि तीनो उसकी सहायता में जुट जाते। धीरे धीरे उनकी एकता देखकर सभी लोग बेवजह उनसे टकराने से बचने लगे। अब सभी भाई खुशहाल ज़िन्दगी जीने लगे। सच ही कहा है की एकता में बड़ी शक्ति है।
(अशोक कश्यप)  

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