दोस्तों, मैं आभारी हूँ 'दिल्ली का प्रतिबिम्ब' समाचार-पत्र  के प्रधान संपादक श्री सुमित भोजगी जी का। जिन्होंने गणतंत्र दिवस पर कराए कार्यक्रम 'गौरव सम्मान' के दौरान। यूँ ही बातों-बातों में मुझसे कुछ प्रश्न किये और ये जानकारी अपने समाचार पत्र  'दिल्ली का प्रतिबिम्ब' में प्रकाशित कर दी ............
 'दिल्ली का प्रतिबिम्ब' समाचार-पत्र  के प्रधान संपादक श्री सुमित भोजगी जी की कवि अशोक कश्यप जी से बातचीत के अंश:

पुरानी दिल्ली के 'सब्जी मंडी' इलाके से बहुत से नामचीन कलाकार और प्रतिभाएं सामने आती रही हैं। मशहूर शायर और फ़िल्मी गीतकार 'गुलज़ार' साहब का बचपन भी सब्जी मंडी की गलियों में ही बीता है। आज भी बहुत सी प्रतिभाएं इस क्षेत्र में हैं। उन्हीं में एक नाम है 'कवि अशोक कश्यप' जो आज देश के जाने-माने कवि और गीतकार हैं। प्रस्तुत है हमारे 'प्रधान संपादक' श्री 'सुमित भोजगी' जी के साथ 'कवि अशोक कश्यप' जी की बात-चीत के अंश।
प्र:  'कवि अशोक कश्यप' जी आप किस राज्य से सम्बंधित हैं और लिखने का शौक आपको कब से है ?
उ:  मैं मूलतः गाँव बझेड़ा, जिला बुलंदशहर, उत्तर प्रदेश से हूँ और 'भारत सरकार' में 'कनिष्ठ मौसम विज्ञानी' के पद पर कार्यरत हूँ। मेरे पूर्वजों और रिश्तेदारों में कभी कोई कवि या शायर नहीं रहा। बचपन में छोटी उम्र में ही बड़ी कठिनाइयों को झेला है, अंतर्मुखी होने के कारण किसी को बताने की वजाय डायरी लिखता था। सबसे पहली कविता शाम के समय खेतों पर टहलते हुए 1987 में 17 वर्ष की उम्र में लिखी थी।
प्र: सब्जी मंडी इलाके में कब से हैं और परिवार में कौन-कौन हैं ?
उ: सन 1994 से 'भारत सरकार' की सेवा में हूँ। सन 1996 में 'तीस हजारी कोर्ट' में कार्यरत श्रीमती 'सरोज बाला' जी से विवाह हुआ तभी से 'रोशनारा रोड सब्जी मंडी' में ही रह रहे हैं परिवार में माताजी, पिताजी और दो बच्चे हैं।
प्र: अभी तक आपकी उपलब्धियां क्या रही हैं ?
उ: मेरी एक किताब 'जीवन के रंग' सन 2009 में 'पराग बुक्स', नई दिल्ली के प्रकाशन से आ चुकी है। एक दोहा संग्रह प्रकाशित होने वाला है। लगभग हर हफ्ते एक कविता राष्ट्रीय दैनिक 'महामेधा' समाचार पत्र में प्रकाशित होती है। इसके आलावा जन सत्ता, दैनिक जागरण, अमर उजाला, राष्टीय सहारा, मिनी फिल्म सिटी समाचार पत्रों में कवितायेँ और समीक्षा छपती रही हैं। कई नामचीन पत्रिकाओं जैसे प्रेरणा अंशु, पालिका समाचार, गूंज, मौसम मञ्जूषा, कावान्कुर आदि में कवितायेँ और लेख छपते रहते हैं।
प्र:  क्या आपका टेलीविजन से भी कभी काव्यपाठ हुआ है ?
उ: मेरी एक कविता 'नारी' को सामाजिक संस्था 'शिवरंजिनी कलाकुंज' ने बोलीवुड के कलाकारों से गवाकर सी0 डी0 निकाली है। भगवान शिवावतार, बाबा बालकनाथ जी की भेट लिखकर जागरणों में गाता रहा हूँ, कई बार जैन टी वी, साधना टी वी, जी जागरण, दूरदर्शन और आकाशवाणी से काव्य पाठ का प्रसारण हो चुका है।
प्र: क्या दिल्ली से बहार भी आप काव्यपाठ कर चुके हैं ?
उ: हाँ। देश में जयपुर, अजमेर, ग्वालियर, हरिद्वार, गाज़ियाबाद, देहरादून, मुंबई में काव्य पाठ कर चूका हूँ। वैसे समय की कमी और सरकारी सेवा में होने के कारण मना भी करना पड़ता है कभी-कभी। यू ट्यूब पर करीब एक लाख पच्चीस हज़ार लोग मेरी रचनाएँ देख/सुन चुके हैं। फेसबुक पर तीन अकाउंट हैं और दस हज़ार मित्र हैं। रोजाना देश-विदेश से देशभक्ति गीतों/कविताओं के लिए बधाईयां फोन पर लोग देते रहते हैं। मुझे गूगल पर kaviashokkashyap लिखकर खोजा जा सकता है।
प्र: आप आज के युवाओं को क्या सन्देश देना चाहेंगे ?
उ: मैं युवाओं से यही कहूँगा की संघर्ष हरेक युवा के जीवन में आता है। इससे घबराना नहीं चाहिए। क्योंकि इसी से जीवन में निखार आता है और अपनी कामयाबी का सच्चा सुख महसूस होता है। खूब मेहनत करें और सही दिशा में करें। कामयाबी निशिचित मिलेगी।संघर्ष के दिनों का मेरा एक मुक्तक है।
प्यासा जीवन है और पानी नहीं दूर तलक
खाली तरकश है मगर जंग जीतने की ललक
बढ़ रहा हूँ मैं इक झीनी सी रौशनी की तरफ
अभी तो ज़मीं अँधेरी है अँधेरा है फलक ........
 4560, रोशनारा रोड, सब्जी मंडी

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