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कवि अशोक कश्यप
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March 11, 2015
गीत:
मधुर-मधुर मीठी सी चाशनी सी ज़िंदगी
मदिर-मदिर धीमी सी रोशनी सी ज़िंदगी
गाँव के अँधेरे में, जुगनुओं के फेरे में 2
झिलमिलाती खिलखिलाती जागती सी ज़िंदगी
मधुर-मधुर मीठी सी चाशनी सी ज़िंदगी
मदिर-मदिर धीमी सी रोशनी सी ज़िंदगी,
(कवि अशोक कश्यप)
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