जिस भाई की कोई बहन नहीं, उस भाई से पूंछो बहन क्या है
 छोटी है तो संस्कारी देवी, है बड़ी तो स्नेही माँ है
रक्षाबंधन के दिन सूनी, वो कलाई देखकर रोता है
काली हैं दीवाली की रातें, भाई दूज को दिनभर सोता है
रिश्ते की जो कोई बहन मिले, उसे लगाती है जान से भी प्यारी
नारी से दुनिया सारी, फिर भी नारी बेचारी
रिश्ते नातों को निभाने में, नारी,नर पे है सदा भारी
(कवि अशोक कश्यप)

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