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कवि अशोक कश्यप
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October 11, 2011
हर पल जीवन का जीना है
ज़हर बना, अमृत पीना है
फूल-शूल की फ़िक्र भूलकर
हरेक जख्म दिल का सीना है
ज़ख़्म मिले जहाँ सिले भी हैं वहाँ
आज नहीं तो आयेगा वो कल
हर पल हलचल पल-पल हलचल
कहे ज़िन्दगी चल आगे चल
चल आगे चल, चल आगे चल
(कवि अशोक कश्यप)
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