गमगीन ज़िन्दगी

ज़िन्दगी गमगीन का निर्माण करे कौन

हर एक से पूंछा मगर सभी को पाया मौन

अपनों से बहुत प्यार करो दिल से जान से

अपनों से मगर रहो ज़रा सावधान से

दुनिया में अभी तक जहाँ फरेब हुआ है

गैरों से हाथ मिलाकर अपनों ने किया है

अपना हो कोई, या गैर हो, नर हो या नार हो

समझायेंगे तुमको वही जो उनका सार हो

सबकी सुनो, सुनकर सभी को मन में डाल लो

मंथन करो फिर सभी का हित की निकाल लो

हित की निकाल कर स्वयं का भला तुम करो

अहित न करो किसी का तुम पाप से डरो

मन को ख़ुशी रखने का बहाना तलाश लो

मन सुरा को करे तो फिर भरकर गिलास लो

लेकिन.....

सोचो कहीं अपनों पे सुरा दाग तो नहीं

तुम हंस रहे हो लगी कहीं आग तो नहीं

सब ठीक है, तुम ठीक हो, अपने भी सही हैं

जिससे मिले मन को ख़ुशी वो काम यही है

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